Thursday 29 December 2011

प्रदेश अनेक संकटों से गुजर रहा है

"आज हमारा प्रदेश अनेक संकटों से गुजर रहा है, अनेक प्रदेश संकटों से गुजर रहे हैं, लोगों की मानसिकता, मनोदशाए विकृति हो चुकी हैं और जो नौजवान लोग हैं उनके भी चझु जाते रहे हैं !
उनमे उच्श्रन्खालता, अश्थिरिता, वैमनास्यता और बहुत सी ऐसी बहुत सी कमजोरियां घर कर गयी है जिसके चलते एक दुसरे पर से विस्वाश भी जाता रहा है ! एक दुसरे से मैत्री, दया करुना की जो भावना थी वह भी जाती रही है ! मनुष्य किस पर विस्वाश करे, किसको रखे ? ऐसे लोगों के संग-साथ से भी हमें बचना है !वह साथु करता क्या है ? वह पूरे के पूरे भीड़ को ठीक नहीं कर सकता बल्कि जो भी उनके संपर्क में आते है, जो भी उनके संग-साथ में आते हैं, उनके लिए इतनी ही कामना करता है कि वो लोग उस बीज रूप में सुरझित रहे हैं, बचे रहे- ऐसे आक्रमणों से; जो आज सर्वत्र दिखाई पड़ रहा है और उसमे सभी लोग त्रस्त हैं ! यही हमारे लिए बहुत होगा कि उस प्रयत्न को करके हमलोग उस स्थिति को प्राप्त करें और उस बीज में भी अपने -आपको रास्ट्र के लिए बचाए रक्खे ! अपने जो मिलने-जुलनेवाले हैं और अपनी जो आने वाली संतति है उसको भी बचाए रक्खे ! नहीं, तो बहुत सी विकृतियाँ है और वह उन्हें बचे रहने नहीं देंगी, एक-दूसरे के प्रति घ्रणा, ईर्ष्या वह उत्पन्न करती ही रहेगी ! जो हमारा समाज टूट रहा है - अनेक जाति, वर्गों और झेत्रों में बात रहा है, तो उस रास्ट्र के प्रति, समाज के प्रति हमारा भी कुछ योगदान हो ! हमलोग अपने में उपासना कि शक्ति एकत्र करके उस रास्ट्र, समाज के लिए उसमे निर्भय होकर जाये"

परम पूज्य गुरुपद शम्भव राम जी

No comments:

Post a Comment