Wednesday, 21 April 2010

मनुष्य बनो



केवल ऐश्वर्य तो महान दुःख देता है और दूसरो को भी संतप्त कर सकता है १ आपको अनेको तरह के गलत कृत्य करने को बाध्य कर सकता है 1 ईश्वर निहित ऐश्वर्य को पाकर गृहस्थ या छोटे स्तर के ब्यक्ति हो कर भी आप पीपल और बरगद आदि उन महान छायादार ब्रच्चो के सामान हो सकते हैं जो बहुत सूज्मा बीज से उत्पन्न होकर भी बहुत सी प्राणियों के आश्रय स्थल होते हैं, सीतलता, सुख और सन्ति प्रदान करने वाले होते हैं १ आप धनि मानी और बड़े होने के अन्धादुन्ध दौड़ में नारियल और ताड़ के ब्रच की तरह लम्बे नही होंगे, जो बड़े बीज से उत्पन्न होकर भी किसी को छाया नही पहुचाते, सुख शांति और शीतलता नही प्रदान करते१ चिड़िया भी उनपर अपना घोसला नही बनाती१ हां कभी कभार गिध उनपर जरूर बैठ जाते हैं १ आप ईश्वर निहित ऐश्वर्य के बल पर उन छोटी नदियों और तालाबो की तरह होंगे जिनका जल मीठा होता है तथा छोटे बड़े प्राणियों की प्यास बुझाता है१ छोटे गृहस्थ होकर भी आप अपने परिवार, परिजन, बंधू, संत, साधू-संस्यासी, महात्मा, महापुरुसू और भिग्मंगो का भी भरण पोसन करते हैं १


परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान् राम जी

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