Friday, 22 April 2011

परिश्रम का दान फलता है !



परिश्रम का दान फलता है लूट का नहीं| बहुत से सेठ लोग मिलावट करते हैं | हल्दी में पीली मिटटी मिलाते हैं | सेठ लोग चोरी करते हैं  और यहाँ आकर दान भी करते हैं | सेठ भी हैं, दानी भी हैं, चोर भी हैं | लूट का रुपया दान देने से भी नहीं फलता | भगवान् भी लूट का रुपया बर्दास्त नही कर सकता | यह दान या पूजा नहीं हैं | कई एक सेठ लोगों को खिला पिला रहे हैं लकिन गरीब मजदूर उनसे कुछ मांगते हैं तो वे एक पैसा नहीं देते हैं | ऐसे लोग इस जमीन पर हैं | दानी भी वही हैं | सुखी भी वही हैं | इनका सब कुछ ब्यर्थ है | दुसरे जन्म में धन के लोभी वेश्या होते हैं और खूब कमाते हैं और बुढौती में गुंडे उनको मर डालते हैं, धन लूट लेते हैं| पापी लोग दुसरे जन्म में ऐसे ही होते हैं | तुलसीदास जी ने कहा है कि धन, दारा, सुत लोग का कारण होता हैं |

                                       साईं इतना दीजिये जमे कुटुंब समाय !
                                       मै भी भूखा ना रहूँ साधू न भूखा जाय !! 

ज्यादा चाहना लोभ है ! 
आपने कुंती के विषय में सुना होगा | भगवान् ने आशीर्वाद देकर कहा कि वर मांगो | कुंती ने कहा कि हे कृष्ण ! हमें जो दुःख विपत्ति है हमेशा बनी रहे | यह नहीं रहेगी तो आपकी याद भूल जाएगी | यदि कुछ देना है तो दुःख और विपत्ति दीजिये कि सदैव आपकी याद रहे | यदि आपकी याद में शारीर छुटेगा तो आपमें विलीन होगा| यदि  ऐश्वर्य में छुटेगा तो विष्ठा का कीड़ा होगा | अनमोल मनुष्य जन्म मिला है | परमात्मा हमें सहन करने कि सक्ति दे | कभी कभी हम बहुत घबडा जाते हैं | अध पेट खाना कहा कर सोना अच्छा है | सेध कहा कर सोता नहीं है | उसके लिए वैध लग जाते हैं | वो लोग जो अध पेट कहा कर सोते हैं उनसे बड़े अच्छे हैं जिनकी दावा दारू के लिए डाक्टर बुलाये जाते हैं | तकलीफ आपको सम्हालने को कहती है | दुःख विपत्ति रास्ता दिखाती है | आपको अच्छे मार्ग पे ले जाती है |

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